नन्दी सुराधी गणों को साथ पहुचाया, पिता के यहां पहुचे किसी ने ठीक से बात नहीं की, भगनी मिली बहुत मुश्काता, यग्य साला में गई, भगवान संकर का कोई स्थान नहीं देखा, क्रोध आया, वहां उपस्थित संतों देवताओं पर क्रोधित हुई, क
क्यों सुनह हु सभासद सकल मनिन्दा, कही सुनी जिन संकर निन्दा, तुम कैसे रुख गए, दंड मिलेगा, गलती की है, पर पस्तारीय सत्य गलती तो मैंने की, एक गलती नहीं गलती पर गलती, पहली गलती मेरी क्या है, राम पर वरोसा नहीं किया,
किया दूसरी गलती राम की परिख्षा तीसरी गलती सीता का रूप धरण किया चौथी गलती पति से जूत बोली पांच वी
गलती फिर कथा से मन हटाया छड़ी गलती आग्या का उलंगधन करके माय के आ गए पर इतनी गलती जिस सरीर से हुई
उस शरीर को मैं नहीं रख लूँगी ये कह कर सती ने योगवल से पेर के अंगुठे को रगडा योगांगनी को प्रगट किया अपने प्राणों की आउती दे दिये
करें कि यह नहीं कह सकते सरीन अब सरीर भी अपना सती ने भजमा कर लिया जो किसके पुराण की कथा है कि
सती के सरीर को नारने पर लटका कर भगवान संकर यह वह भटक रहे भगवान विश्व है चक्र से सणिती अंगों
काट काट कर गिराया जहां जहां अंग गिरे वहां वहां सक्ति पीठ बने यह कह सकते हैं प्राणों को त्यागा यह
खबर नारद के द्वारा सिव प्राण के अनुसार और नंदी के द्वारा भागवत के अनुसार भगवान संकर को पता लगी
बोले बाबा को क्रोध आया अपनी जटा से बाल तोड़कर भूमि पर पटका बीर भद्र को प्रकट किया आज्या दी यज्ञ का विद्वंश
को चिंता हुई सतों को ब्रामंणों को चिंता हुई एक धर्म का काम अधूरा पड़ा है को रखना है तो भगवान संकर
के पास आए बाद यज्ञ था कूरा करना तो बाबाद का करो वह कहां से करो क्यों यज्ञॉन की मुंदी तो गाया और आप समर्थ
हैं ध्यान से सुनना इस बात को सारे देवता कह रहे हैं बाबा आप समर्थ हैं यजमान लोटाने क्यों हम सब तो दियो
हैं पर आप महादेव हैं आप वह कर सकते हैं और यह काम की बात है समझ लेना हो कि केवल भगवान संकर ऐसे हैं
नाम ही बोले नात बड़ी जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं यह पहली बात और दूसरी बात कि कुछ भी कर सकते हैं
जो अपने भाग में नहीं होना वह भी अगर चाहिए भगवान संकर के स्रण में जाना पड़ेगा क्यों भावी मेट सकेंत्र पुरारी
को भाग में कुछ गलत लिखा है ना उसको मिटा सकते हैं भगवान संकर जो नहीं है वह दिसम भगवान संकर
ने का जाओ जो मिल जाए उसका सिरकाट लाओ बकरा मिला पक्रिकाचर कार्ड कि ऐदर पर रखा भगवान संकर ने प्राण
अब जैसे ही प्रांड भूके तो बकरा कैसे बोलता है, मैं, हाना, बंबम बोलता, जो लोग शंकर जी के भकते ना पूजन करते मंदिर जाके वो भी बंबम बोलते गाल बजाते हैं,
क्यों बहुत संगर प्रसन हो जाते हैं क्यों भगवान संकर का अपने ससुर की याद आ जाती है अ
बग्रे का सिर लगाया सब ने कप रहे मेचिंग ठीक नहीं भिटिंग क्यों नहीं है यह भगवान संकर गिरगई ठीक है
और हम बात को समझें कि भगवान संकर भोले नात है, महादेव है और भगवान संकर ही है जो भाग्य को बदलने का सामर्थ रखते हैं, नाम भोले नात है, और अच्छी बात बताएं, और देवता के पूजन के लिए तो आपको व्यवस्था करनी पड़ती है, जमानी पड़त
हैं, भेल्पतती का पेल आए तो भेल्पत तोड़ लो, समीपत्र मिले वो तोड़ लो, ये ना मिले अकाँ का पेल आए तो फूल तोड़ लो, वो ना मिले धतूरे का पेल आए तो धतूरा तोड़ लो, और ये कुछ भी ना मिले तो संत कहते हैं भगवान संकर को एक लोट
को आपको बता रहे हैं कि कोई भगवान संकर को यदि दोनों हाथ जोड़कर भाव से प्रणाम कर लेता है तो उसे
भगवान संकर की पूरी पूजन का फल मिल जाता है ऐसे भगवान संकर मनाया सारे देवताओं ने मान गए और आपको
समझ में नहीं आए ना कौन से देवता को प्रसन्न करें तो भगवान संकर है जो बड़ी जल्दी प्रसन्न हो जाते
हैं क्योंकि नाम ही भोले नाथ है कि देवताओं ने मनाया संतों ने मनाया आप भी मना लो कि