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V.A
Shambhleshwar Ke Charno Mein Harihar Harihar Bolo

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जैकारा बीर्मदंगी हर हर महादेव
एक दाग है सत्य सनातन पर आओ मिलकर इसको धोने
संबले स्वर के चरणों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
संबले स्वर के चरणों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
एक दाग है सत्य सनातन पर आओ मिलकर इसको धोने
संबले स्वर के चरणों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
एक दाग है सत्य सनातन पर
यह धरती है अवतारी की संतोंने महीमा गाई है
पिश्व कर्मा ने रची बसी यहाँ आया क्रिश्ण कनाई है
पिश्व कर्मा ने रची बसी यहाँ आया क्रिश्ण कनाई है
पिर कल की आने बाला है आओ मिलकर बादा खोले
संबले स्वर के चर्णों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
एक दाग है सत्य सनातन पर
संकल्प अयोध्या पूर्ण हुआ मतुरा भी होने बाला है
विश्वे स्वर की धर्ती पर अब जागरत हुआ शिवाला है
अब समेह ताक रहा हमको
इन बाहों की ताकत तोले
संबले स्वर के चर्णों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
इत दाग है सत्य सनातन पर
कई सुलता भी बनी रहे पर उत्तर दो सैतानी का
कोई न ढाचा शेश रहें इन मुगलों की मनमानी का
कोई न ढाचा शेश रहें इन मुगलों की मनमानी का
अब साध ये पांच सदी का है अब तो अपनी आखें खोलें
संबले स्वर के चर्णों
संबले स्वरी के चर्णों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
एक दाग है सत्य सना तन पर
यह केला मैया ही तो हरी हर विश्णू की योग माया है
प्रेणा लेकर रिशी राज ने यह संकल्प सजाया है
हरी हर विश्णू के संग संग केला मैया की जै बोले
संबले स्वर के चर्णों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
संबले स्वर के चर्णों में हरी हर हर
प्रेणा लेकर रिशी राज ने यह संकल्प सजाया है
एक दाग है सत्य सना तन पर
एक दाग है सत्य सनातन पर आओ मिलकर इसको धोने
संबले स्वर के चरणों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
संबले स्वर के चरणों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
एक दाग है सत्य सनातन पर आओ मिलकर इसको धोने
संबले स्वर के चरणों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
एक दाग है सत्य सनातन पर
यह धरती है अवतारी की संतोंने महीमा गाई है
पिश्व कर्मा ने रची बसी यहाँ आया क्रिश्ण कनाई है
पिश्व कर्मा ने रची बसी यहाँ आया क्रिश्ण कनाई है
पिर कल की आने बाला है आओ मिलकर बादा खोले
संबले स्वर के चर्णों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
एक दाग है सत्य सनातन पर
संकल्प अयोध्या पूर्ण हुआ मतुरा भी होने बाला है
विश्वे स्वर की धर्ती पर अब जागरत हुआ शिवाला है
अब समेह ताक रहा हमको
इन बाहों की ताकत तोले
संबले स्वर के चर्णों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
इत दाग है सत्य सनातन पर
कई सुलता भी बनी रहे पर उत्तर दो सैतानी का
कोई न ढाचा शेश रहें इन मुगलों की मनमानी का
कोई न ढाचा शेश रहें इन मुगलों की मनमानी का
अब साध ये पांच सदी का है अब तो अपनी आखें खोलें
संबले स्वर के चर्णों
संबले स्वरी के चर्णों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
एक दाग है सत्य सना तन पर
यह केला मैया ही तो हरी हर विश्णू की योग माया है
प्रेणा लेकर रिशी राज ने यह संकल्प सजाया है
हरी हर विश्णू के संग संग केला मैया की जै बोले
संबले स्वर के चर्णों में हरी हर हरी हर हरी हर बोले
संबले स्वर के चर्णों में हरी हर हर
प्रेणा लेकर रिशी राज ने यह संकल्प सजाया है
एक दाग है सत्य सना तन पर
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