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Sanjay Gulati
Shri Premanand Maharaj Jivani

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Lyrics
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जैजै श्री राधे भगजनों श्री राधे राणी के परमभग संत श्री प्रेमानन महराज जी किस प्रकार राधे राधे जबते हुए अपना और इस समस्त संसार का कल्यान कर रहे हैं
आईए सुनते हैं राधा राणी के अनन्य भग की जीवनी
गोरी पुत्र का सुमिरन करके लाज रखो सुत शिव भगवन के प्रेम तने मैं कलम चलाओ राधे भगत के गुण मैं गाओ
प्रेमानन जी बड़े दयालू ब्रह्म चालू
ये है किरपालू परम भगत ब्रिज ठकुरानी के बजते गुण राधा राणी के
ब्रिंदावन में करते निवासा दिल में श्री जी का है वासा
जन जन को सत मार्ग दिखाते जहूर ये पूजे जाते
सुनो जीवनी ध्यान लगाकर कैसे धन हुए नारी नर
सरसॉल अखरी गाउं का हाया उन सबहत पर जन्म है पाया
श्री राधे का नाम ले काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को कोटी कोटी नमन
रामा देवी मात दया
लूँ शम्भू पांडे पिता किरपालू
ब्रह्मन कुल था सब्भे घराना
द्वार पे भूखा जो कोई आता
मान समान से भोजन पाता
संसकार वो घर से पाए
मात पिता के थे अति प्यारे
गीता श्लोक सब राधे
पाँच वी कक्षा में जब आए
सुख साधर की रटन लगाए
तेरा वर्ष की उमर हुई थी
राम कृष्ण की रटन लगी थी
नौवी कक्षा में जब आए
ये संकल्प ज्यान लगाए
श्री राधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महाँ
मान को कोटी कोटी नमन
दादा आपके सन्यासी थे
भक्ति मार्ग के अधिशासी थे
ब्रह्मचारी कहे दादा बुलाते
मानम जीवन को समझाते
क्या है जीवन रहसे न जाना
समझ गए की ध्यान लगाना
सच की खोज में निकल पड़े फिर
लगे भटकने दर से दर फिर
मुहमाया को त्याग दिया है
हरी चरणों में ध्यान दिया है
ज्यान मार्ग के संत कहाए
चरे पर मुस्कान हलाए
कृष्ण की लीला देखन चाही
भक्ति की भावना मन में समाई
जीवन भक्ति सार बताया
भक्ति से उतार बताया
श्री राधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को
कोटी कोटी नमन
जीवन संत का शुरू किया जब
काशी में आतप को किया तब
हफते भूखे रहके गुजारे
विक्षा को ना हाथ पसारे
गंगा तट पर ध्यान लगाते
गंगा में ही खड़े हो जाते
ये तो थी सब प्रभु की माया
जिसका अब तक पारी न पाया
तुलसी घाट पे वास किया था
वही पे हरी का ध्यान किया था
मिल जाता कर लेते भोजन
वरना खाली भेटी पूजन
धीरे धीरे समय है बीता
चहूं और मिली ख्याती संजीता
ब्रज भूमी में लगने लगी फिर
आगे संत जी मतुरा में पिर
श्री राधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को
कोटी कोटी नमन
मतुरा आकर अचरज पाया
ये भी थी कुछ प्रभू की माया
कृष्ण के दर्शन नित ही करें
रग रग बनती ऊर्ज भरते
मंदिर अंदर बैठे बिहारी
जिनकी महिमा जग में न्यारी
भजते कृष्णा राधा राने
राधा बल्लभ भृजठ कुरानी
बृण्दावन महाराज जी आए
राधा बल्लभ मंदिर पाए
गोस्वामी मोहित जी पाए
शीश नवा कर गले लगाए
संत गुरू गोरांगी को पाया
प्रेमानन्द ने शीश जुकाया
भक्ती पाठ गुरू से पाए
जीवन गुरू से धन्य बनाए
श्री राधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को
कोटी कोटी नमन
चहक उठा जो था मन प्यासा
मिट गई अंतर मन अभिलाशा
सारे मनोरत पून हुए हैं
रोग बोश भी दूर हुए हैं
राधा वल्लब पंथ को पाया
दीखशा पा श्री जी को ध्याया
लगन लगा लिया
थकुरानी से
बढ़ गए नास रे भिज्राधी के
श्री जी को आराधे बनाया
श्री चर्णों में खुद को लुटाया
थकुरानी के बन गए प्यारे
हो गए आपके बारे मयारे
राधा राधा हर पल जपते
बक्ती भाव की बात है करते
राधा केली का इस्थाँ जहां विराजे संत महान
श्री राधे का नाम ले काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को कोटी कोटी नमन
भक्ति ज्ञान का पाठ पढ़ाते सदा सत्य का मार्ग दिखाते
आपकी शिक्षा है अनमों
सुन बंदे तू आके हो
देश विदेश में आपके चर्चे जपले प्रभू को ना है खर्चे
छटी करा गुरुण
रुमा रग जाते
अत्विजणों से वो खिर जाते
राधा राधा नाम आधारा
प्रिजभूमी का जो आधारा
कई वर्षों से गुरु बिमा
क्या कहते है वैद हसा
दोनों किड़नी काम न करती
श्री जी के बल श्वास है चलती
राधे ही है खेबन हारी
जो जन्द जन्द की मंगल दारी
श्री राधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को
कोटी कोटी नमन
देते संत जिनित उपदेश
मिटते जिससे कष्ट कला
पूरन होती है अभिलाशा
संत श्री सुनो क्या बत लाते
अपने मन का रह से बताते
एक किड़नी का राधाना
नित ही लोग हजारों आते
श्री जी भक्त से ज्ञाने है पाते
जीवन धन्य बनाते
है जन
लाखों आप से शिक्षा पाते
शिक्षा पाकर शीश्य कहाते
आपकी दिवे छटा है न्यारी
मोहिनी मुख पर मुस्की प्यारी
प्रीराधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को
कोटी कोटी नमपर
मन
आपने अध्यातंबत लाया
मोख्ष का सबको मार्ग दिखाया
हरिकल युग में हरते कले
राधा रानी ब्रज ठकुरानी
आप पे करती है महरबानी
मुनेंद प्रेम जीवन
जी कलम चलाते
संग्जे गुलाटी महिमा गाते
श्रीराधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को
कोटी कोटी नमपर
आईए सुनते हैं राधा राणी के अनन्य भग की जीवनी
गोरी पुत्र का सुमिरन करके लाज रखो सुत शिव भगवन के प्रेम तने मैं कलम चलाओ राधे भगत के गुण मैं गाओ
प्रेमानन जी बड़े दयालू ब्रह्म चालू
ये है किरपालू परम भगत ब्रिज ठकुरानी के बजते गुण राधा राणी के
ब्रिंदावन में करते निवासा दिल में श्री जी का है वासा
जन जन को सत मार्ग दिखाते जहूर ये पूजे जाते
सुनो जीवनी ध्यान लगाकर कैसे धन हुए नारी नर
सरसॉल अखरी गाउं का हाया उन सबहत पर जन्म है पाया
श्री राधे का नाम ले काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को कोटी कोटी नमन
रामा देवी मात दया
लूँ शम्भू पांडे पिता किरपालू
ब्रह्मन कुल था सब्भे घराना
द्वार पे भूखा जो कोई आता
मान समान से भोजन पाता
संसकार वो घर से पाए
मात पिता के थे अति प्यारे
गीता श्लोक सब राधे
पाँच वी कक्षा में जब आए
सुख साधर की रटन लगाए
तेरा वर्ष की उमर हुई थी
राम कृष्ण की रटन लगी थी
नौवी कक्षा में जब आए
ये संकल्प ज्यान लगाए
श्री राधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महाँ
मान को कोटी कोटी नमन
दादा आपके सन्यासी थे
भक्ति मार्ग के अधिशासी थे
ब्रह्मचारी कहे दादा बुलाते
मानम जीवन को समझाते
क्या है जीवन रहसे न जाना
समझ गए की ध्यान लगाना
सच की खोज में निकल पड़े फिर
लगे भटकने दर से दर फिर
मुहमाया को त्याग दिया है
हरी चरणों में ध्यान दिया है
ज्यान मार्ग के संत कहाए
चरे पर मुस्कान हलाए
कृष्ण की लीला देखन चाही
भक्ति की भावना मन में समाई
जीवन भक्ति सार बताया
भक्ति से उतार बताया
श्री राधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को
कोटी कोटी नमन
जीवन संत का शुरू किया जब
काशी में आतप को किया तब
हफते भूखे रहके गुजारे
विक्षा को ना हाथ पसारे
गंगा तट पर ध्यान लगाते
गंगा में ही खड़े हो जाते
ये तो थी सब प्रभु की माया
जिसका अब तक पारी न पाया
तुलसी घाट पे वास किया था
वही पे हरी का ध्यान किया था
मिल जाता कर लेते भोजन
वरना खाली भेटी पूजन
धीरे धीरे समय है बीता
चहूं और मिली ख्याती संजीता
ब्रज भूमी में लगने लगी फिर
आगे संत जी मतुरा में पिर
श्री राधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को
कोटी कोटी नमन
मतुरा आकर अचरज पाया
ये भी थी कुछ प्रभू की माया
कृष्ण के दर्शन नित ही करें
रग रग बनती ऊर्ज भरते
मंदिर अंदर बैठे बिहारी
जिनकी महिमा जग में न्यारी
भजते कृष्णा राधा राने
राधा बल्लभ भृजठ कुरानी
बृण्दावन महाराज जी आए
राधा बल्लभ मंदिर पाए
गोस्वामी मोहित जी पाए
शीश नवा कर गले लगाए
संत गुरू गोरांगी को पाया
प्रेमानन्द ने शीश जुकाया
भक्ती पाठ गुरू से पाए
जीवन गुरू से धन्य बनाए
श्री राधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को
कोटी कोटी नमन
चहक उठा जो था मन प्यासा
मिट गई अंतर मन अभिलाशा
सारे मनोरत पून हुए हैं
रोग बोश भी दूर हुए हैं
राधा वल्लब पंथ को पाया
दीखशा पा श्री जी को ध्याया
लगन लगा लिया
थकुरानी से
बढ़ गए नास रे भिज्राधी के
श्री जी को आराधे बनाया
श्री चर्णों में खुद को लुटाया
थकुरानी के बन गए प्यारे
हो गए आपके बारे मयारे
राधा राधा हर पल जपते
बक्ती भाव की बात है करते
राधा केली का इस्थाँ जहां विराजे संत महान
श्री राधे का नाम ले काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को कोटी कोटी नमन
भक्ति ज्ञान का पाठ पढ़ाते सदा सत्य का मार्ग दिखाते
आपकी शिक्षा है अनमों
सुन बंदे तू आके हो
देश विदेश में आपके चर्चे जपले प्रभू को ना है खर्चे
छटी करा गुरुण
रुमा रग जाते
अत्विजणों से वो खिर जाते
राधा राधा नाम आधारा
प्रिजभूमी का जो आधारा
कई वर्षों से गुरु बिमा
क्या कहते है वैद हसा
दोनों किड़नी काम न करती
श्री जी के बल श्वास है चलती
राधे ही है खेबन हारी
जो जन्द जन्द की मंगल दारी
श्री राधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को
कोटी कोटी नमन
देते संत जिनित उपदेश
मिटते जिससे कष्ट कला
पूरन होती है अभिलाशा
संत श्री सुनो क्या बत लाते
अपने मन का रह से बताते
एक किड़नी का राधाना
नित ही लोग हजारों आते
श्री जी भक्त से ज्ञाने है पाते
जीवन धन्य बनाते
है जन
लाखों आप से शिक्षा पाते
शिक्षा पाकर शीश्य कहाते
आपकी दिवे छटा है न्यारी
मोहिनी मुख पर मुस्की प्यारी
प्रीराधे का नाम ले
काटे जो जीवन
ऐसे संत महान को
कोटी कोटी नमपर
मन
आपने अध्यातंबत लाया
मोख्ष का सबको मार्ग दिखाया
हरिकल युग में हरते कले
राधा रानी ब्रज ठकुरानी
आप पे करती है महरबानी
मुनेंद प्रेम जीवन
जी कलम चलाते
संग्जे गुलाटी महिमा गाते
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