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Sandeep Kapoor
Somvar Vrat Katha

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Lyrics
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शोमवार के व्रत की हम कथा सुनाते हैं, पावन कथा सुनाते हैं, क्या फल मिलता इसे करने से ये हम बतलाते हैं, भक्तों तुम्हें बताते हैं,
शोमवार के व्रत की हम कथा सुनाते हैं, पावन कथा सुनाते हैं, क्या फल मिलता इसे करने से ये हम बतलाते हैं, भक्तों तुम्हें बताते हैं,
शिवशंकर का लोना बन जाएंगे सब का,
सातों वारों का है नाता देव देवियों संग, किसी दिवस को पुष्प लाल कभी है सिंदूरी रंग, ऐसे ही भगतों जब जब है शोमवार आता,
शिव की पूजा, शिव की भकती याद है दिलाता, सोमवार तो वार है शिव का, शिव से है नाता, पारवती शिवशंकर को हर कोई है ध्याता,
सोमवार को जो वरत करता शिव की करे पूजा, जीवन का हर सुख पाए उस जैसा नहो दूजा, क्यों सोमवार को भोले शंकर को हम ध्याते हैं, भोले को हम ध्याते हैं,
क्या पल मिलता इस करने से ये हम बतलाते हैं, भक्तों तुम्हें बताते हैं, शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सबका, शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सबका,
कथा बहुत प्रचलित है भक्तों सुनो लगा कर ध्यान, किसी नगर में रहता था एक साहु कारमार, ब्यापारी था बहुत बड़ा दन, दौलत की भरमार, उसको कोई संतान नहीं थी, दुखता यही आपार,
शिव जी का था भगत निराला जपता था नितना, शिव की पूजा भक्ती करना नित्य था उसका काम, नितनियम से महादेव के मंदिर जाता था, ओमन महाशिवाय मंत्र शिव को सुनाता था,
यहि बีज मंत्र है माहादेव का तमें बताते हैं, भक्तों तुमें बताते हैं, क्या फल मिलता, इसे करणे से यहत हम बतलाते हैं, भक्तों तुमें बताते हैं,
शिव शंकर का लोना, बन जाएंगे सब का।
उसकी पतनी भी शिव की ही भक्ती करती थी, उत्र प्राप्त की इच्छा वह भी मन में रखती थी,
सोमवार को पति बतनी संग वरत भी करते थे, मा गोरा शिव परिवार की पूजा करते थे, उनकी पूजा से मन ही मन शिव मुस्काते थे, धन दोलत की उन दोनों पर किपा लुटाते थे,
पार्वती मा बोली शिव से आप हो नाथ महान इनके मन की बात सँनो इनें चाहि एक संतान इसके आगे क्या हुआ हम तुमें बताते हैं भक्तों तुमें बताते हैं
क्या फल मिलता इसे करने से ये हम बतलाते हैं भक्तों तुमें बताते हैं
शिव शंकर का लोड़ा बन जाएने सबका
पारवती मा जब बोली इने दे तो एक संतान शिव बोले के दे नहीं सकता इनको ये वरदान सब अपने कर्मों के फल से रिष्टे नाते हैं
कर्मों के ही फल से सब संतान को पाते हैं
साहुकार के भाग्य में ना है पिता बनने का योग अपने पिछले जनमों का फल आज रहा है भोग
माता पारवती हथ पकणी बोली कुछ भी करो साहुकार की पतनी की महदेव जी जोली भरो
त्रियहथ के आगे देव राक्षस सब जुक जाते हैं हाँ सब जुक जाते हैं
क्या फल मिलता इसे करने से ये हम बतलाते हैं भक्तों तुम्हें बताते हैं
शिवशंकर का लोना बन जाएंगे सब का
गौरा की हटमान लिशिव ने देदिया ये वरदान इसी बरस साहुकार की पतनी के होगी संतान
लेकिन बाराह बरस का बालक जब हो जाएगा काल का सर्प डसेगा उसको मित्यों को पाएगा
शिवशंकर की बाते सारी सुन रह साहुकार बिचलित हुआ न पल भर को करे शिव की जैजैकार
अभिवादन कर सिर को जुकाया जोली फैलाई पुत्र की किलकारी गूंजी घरबाजी शेहनाई
जो सची शद्धा प्रेम लिये शिव जी को मनाते हैं शिव जी को मनाते हैं आता है सही समय तो वो संतान को पाते हैं संतान को पाते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सब का
आई घर में खुशिया लेकिन नियम नहीं तोड़ा शिव की पूजा भकती को एक पल भी नहीं छोड़ा
रोज वो मंदिर जाता शिव के तीरत करता था सोमवार को पतनी के संग वरत वो करता था अक्ख धतूरा बेल पत्र शिव जी को चड़ाता था शिव लिंग पर वो कच्चे दूध की धार बहाता था
इसकी पूजा भकती से शंकर जी रहते प्रसन उसकी भकती देखके गौरा का खुश होता मन फिर उसके बाद क्या हुआ ये तुम्हें बताते हैं भक्तों तुम्हें बताते हैं
क्या पल मिलता इसे करने से ये हम बतलाते हैं भकतों तुम्हें बताते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सबकाँ
धीरे धीरे समय का पहिया ग्याराह बरस बढ़ा
ग्याराह बरस का कब हुआ बालक पता ही नहीं पढ़ा
साहुकार ने पतनी के भईया को था बुलबाया
कहा इसे ले जाओ संग मेरा मन है घबराया
नगर नगर जब पार करो तुम यग्य भी करवाना
मेरा पुत्र है दानी सारे जग को बतलाना
चल दिये मामा भाँजे अपना धर्म निभाया था
नगर नगर जब पार किया तो यग्य कराया था
महादेव के नाम की माला जो जपते गाते हैं
जो जपते गाते हैं इस कल युग में शिव जी की कृपा से
वो मुस्काते हैं हाँ वो मुस्काते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सब का
पहुँचे एक नगर में रुके वो यग्य कराना था
एक साहु कार मिला उनको बेटा उसका काना था
नगर के राजा की बेटी से होना था उसका ब्याँ
राजा राजकुमारी को यह भेद था नहीं पता
साहु कार ने मन में छल की योजना बनाई
मामा भांजे से पार्थना की युक्ति सुझाई
कहा की बेटा तुम दुलहा बन यह विबाह कर लो
मेरे बेटे की जगह तुम शादी ये कर लो
किसी की रक्षा करने को जो जतन लगाते हैं
जो जतन लगाते हैं
महदेव सदा ही उस पर आशीशें बरसाते हैं
आशीशें बरसाते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएँगे सबका
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सबका
दूला बन कर राजकुमारी के वो महल पहुँचा
बढ़ा ही सुन्दर एक तरीका मन ही मन सोचा
राजकुमारी की चुनरी पर लिख दी सारी बार
सच बतिला कर चला गया वापिस शादी की राद
बारह बरस का हुआ तो उसका अंत समय आया
माता पार्वती जी का मन उस पल घबराया
महादेव से प्रार्थ न किये नाथ जी रक्ष करो
माता पिता इसके मर जाएंगे प्राण न इसके हरो
जो मित्यू लोक के स्वामी को अपना शीश न वाते हैं
हाँ शीश न वाते हैं
महाकाल स्वयं रक्षक बनकर दर्शण दे जाते हैं
दर्शण दे जाते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सब का
महा देव की कृपा से उसके बच गए हरेना प्राण
शिव शंकर ने पीरगायू का दे दिया उसको दान
पोँचा घर वापिस तो माता पिता हुए हेराम
नमन किया शिव गौरा को कहा आप हैं बड़े महान
माना कर्मों का ही फल सब कुछ हैं दिलवाता
भकती और शद्धा सची से प्राणी फल पाता
सोमवार का व्रत करके सहुकार ने फल पाया
काल भी उसके बेटे के तन को छू नहीं पाया
जो सोमवार की कथा का रस पीते हैं पिलाते हैं
रस पीते हैं पिलाते हैं
शिव पारवती की क्रिपा से जीवन भर मुस्काते हैं
जीवन भर मुसकाते हैं
शिव शंकर का लोड़ा बन जाएं्गे सब का
गनपति शिव मा गोरा कार्त के नंदी को ध्याओ
शिव परिवार को सदा ही पूछो शीष तुम नवाओ
हर पल हर खशण सात है रहता भोले का परिवार
भोले शंकर शिव जी की है महिमा अपरंपार
इनकी क्रिपा से कश्ट मिटे हैं स्वस्थ बने रोगी
महा देव शिव शंभू तो है जोगियों के जोगी
ब्रह्मा जी ने रची ये स्रिष्टी विश्णू जी पालन हार
मृत्यू लोक के स्वामी शिव जी करते हैं संघार
जो सोंवार को महं शिवलिंग पर दूध चड़ाते हैं
हाँ दूध चड़ाते हैं
वो महा देव शिव शंकर से सारे सुक पाते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सब का
सोंवार की कथा जो पढ़ता और सुनाता हैं
वरत कर शिव शंकर के सारे नियम निभाता है
शिव परिवार को सची शद्ध से पुश्प चड़ाता है
उसका जीवन फूलों के जैसे मुस्काता है
भक्त जनों सब आखें बंद कर शिव का कर लो ध्यान
मन के भोले हैं ये भोले नाथ जी बड़े महान
सोंवार वरत कथा का फल जिसको मिल जाता है
दुखों से छुटकारा मिलता हर दम सुख पाता है
जो सोंवार की कता को پढ़ते गान के सुनाते हैं
आन गान के सुनाते हैं
वो भक्त बने ध्रुभ जैसे शिव की का कुपा पाते है
शिव की का कुपापा पाते है
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सबका
शोमवार के व्रत की हम कथा सुनाते हैं, पावन कथा सुनाते हैं, क्या फल मिलता इसे करने से ये हम बतलाते हैं, भक्तों तुम्हें बताते हैं,
शिवशंकर का लोना बन जाएंगे सब का,
सातों वारों का है नाता देव देवियों संग, किसी दिवस को पुष्प लाल कभी है सिंदूरी रंग, ऐसे ही भगतों जब जब है शोमवार आता,
शिव की पूजा, शिव की भकती याद है दिलाता, सोमवार तो वार है शिव का, शिव से है नाता, पारवती शिवशंकर को हर कोई है ध्याता,
सोमवार को जो वरत करता शिव की करे पूजा, जीवन का हर सुख पाए उस जैसा नहो दूजा, क्यों सोमवार को भोले शंकर को हम ध्याते हैं, भोले को हम ध्याते हैं,
क्या पल मिलता इस करने से ये हम बतलाते हैं, भक्तों तुम्हें बताते हैं, शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सबका, शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सबका,
कथा बहुत प्रचलित है भक्तों सुनो लगा कर ध्यान, किसी नगर में रहता था एक साहु कारमार, ब्यापारी था बहुत बड़ा दन, दौलत की भरमार, उसको कोई संतान नहीं थी, दुखता यही आपार,
शिव जी का था भगत निराला जपता था नितना, शिव की पूजा भक्ती करना नित्य था उसका काम, नितनियम से महादेव के मंदिर जाता था, ओमन महाशिवाय मंत्र शिव को सुनाता था,
यहि बีज मंत्र है माहादेव का तमें बताते हैं, भक्तों तुमें बताते हैं, क्या फल मिलता, इसे करणे से यहत हम बतलाते हैं, भक्तों तुमें बताते हैं,
शिव शंकर का लोना, बन जाएंगे सब का।
उसकी पतनी भी शिव की ही भक्ती करती थी, उत्र प्राप्त की इच्छा वह भी मन में रखती थी,
सोमवार को पति बतनी संग वरत भी करते थे, मा गोरा शिव परिवार की पूजा करते थे, उनकी पूजा से मन ही मन शिव मुस्काते थे, धन दोलत की उन दोनों पर किपा लुटाते थे,
पार्वती मा बोली शिव से आप हो नाथ महान इनके मन की बात सँनो इनें चाहि एक संतान इसके आगे क्या हुआ हम तुमें बताते हैं भक्तों तुमें बताते हैं
क्या फल मिलता इसे करने से ये हम बतलाते हैं भक्तों तुमें बताते हैं
शिव शंकर का लोड़ा बन जाएने सबका
पारवती मा जब बोली इने दे तो एक संतान शिव बोले के दे नहीं सकता इनको ये वरदान सब अपने कर्मों के फल से रिष्टे नाते हैं
कर्मों के ही फल से सब संतान को पाते हैं
साहुकार के भाग्य में ना है पिता बनने का योग अपने पिछले जनमों का फल आज रहा है भोग
माता पारवती हथ पकणी बोली कुछ भी करो साहुकार की पतनी की महदेव जी जोली भरो
त्रियहथ के आगे देव राक्षस सब जुक जाते हैं हाँ सब जुक जाते हैं
क्या फल मिलता इसे करने से ये हम बतलाते हैं भक्तों तुम्हें बताते हैं
शिवशंकर का लोना बन जाएंगे सब का
गौरा की हटमान लिशिव ने देदिया ये वरदान इसी बरस साहुकार की पतनी के होगी संतान
लेकिन बाराह बरस का बालक जब हो जाएगा काल का सर्प डसेगा उसको मित्यों को पाएगा
शिवशंकर की बाते सारी सुन रह साहुकार बिचलित हुआ न पल भर को करे शिव की जैजैकार
अभिवादन कर सिर को जुकाया जोली फैलाई पुत्र की किलकारी गूंजी घरबाजी शेहनाई
जो सची शद्धा प्रेम लिये शिव जी को मनाते हैं शिव जी को मनाते हैं आता है सही समय तो वो संतान को पाते हैं संतान को पाते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सब का
आई घर में खुशिया लेकिन नियम नहीं तोड़ा शिव की पूजा भकती को एक पल भी नहीं छोड़ा
रोज वो मंदिर जाता शिव के तीरत करता था सोमवार को पतनी के संग वरत वो करता था अक्ख धतूरा बेल पत्र शिव जी को चड़ाता था शिव लिंग पर वो कच्चे दूध की धार बहाता था
इसकी पूजा भकती से शंकर जी रहते प्रसन उसकी भकती देखके गौरा का खुश होता मन फिर उसके बाद क्या हुआ ये तुम्हें बताते हैं भक्तों तुम्हें बताते हैं
क्या पल मिलता इसे करने से ये हम बतलाते हैं भकतों तुम्हें बताते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सबकाँ
धीरे धीरे समय का पहिया ग्याराह बरस बढ़ा
ग्याराह बरस का कब हुआ बालक पता ही नहीं पढ़ा
साहुकार ने पतनी के भईया को था बुलबाया
कहा इसे ले जाओ संग मेरा मन है घबराया
नगर नगर जब पार करो तुम यग्य भी करवाना
मेरा पुत्र है दानी सारे जग को बतलाना
चल दिये मामा भाँजे अपना धर्म निभाया था
नगर नगर जब पार किया तो यग्य कराया था
महादेव के नाम की माला जो जपते गाते हैं
जो जपते गाते हैं इस कल युग में शिव जी की कृपा से
वो मुस्काते हैं हाँ वो मुस्काते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सब का
पहुँचे एक नगर में रुके वो यग्य कराना था
एक साहु कार मिला उनको बेटा उसका काना था
नगर के राजा की बेटी से होना था उसका ब्याँ
राजा राजकुमारी को यह भेद था नहीं पता
साहु कार ने मन में छल की योजना बनाई
मामा भांजे से पार्थना की युक्ति सुझाई
कहा की बेटा तुम दुलहा बन यह विबाह कर लो
मेरे बेटे की जगह तुम शादी ये कर लो
किसी की रक्षा करने को जो जतन लगाते हैं
जो जतन लगाते हैं
महदेव सदा ही उस पर आशीशें बरसाते हैं
आशीशें बरसाते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएँगे सबका
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सबका
दूला बन कर राजकुमारी के वो महल पहुँचा
बढ़ा ही सुन्दर एक तरीका मन ही मन सोचा
राजकुमारी की चुनरी पर लिख दी सारी बार
सच बतिला कर चला गया वापिस शादी की राद
बारह बरस का हुआ तो उसका अंत समय आया
माता पार्वती जी का मन उस पल घबराया
महादेव से प्रार्थ न किये नाथ जी रक्ष करो
माता पिता इसके मर जाएंगे प्राण न इसके हरो
जो मित्यू लोक के स्वामी को अपना शीश न वाते हैं
हाँ शीश न वाते हैं
महाकाल स्वयं रक्षक बनकर दर्शण दे जाते हैं
दर्शण दे जाते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सब का
महा देव की कृपा से उसके बच गए हरेना प्राण
शिव शंकर ने पीरगायू का दे दिया उसको दान
पोँचा घर वापिस तो माता पिता हुए हेराम
नमन किया शिव गौरा को कहा आप हैं बड़े महान
माना कर्मों का ही फल सब कुछ हैं दिलवाता
भकती और शद्धा सची से प्राणी फल पाता
सोमवार का व्रत करके सहुकार ने फल पाया
काल भी उसके बेटे के तन को छू नहीं पाया
जो सोमवार की कथा का रस पीते हैं पिलाते हैं
रस पीते हैं पिलाते हैं
शिव पारवती की क्रिपा से जीवन भर मुस्काते हैं
जीवन भर मुसकाते हैं
शिव शंकर का लोड़ा बन जाएं्गे सब का
गनपति शिव मा गोरा कार्त के नंदी को ध्याओ
शिव परिवार को सदा ही पूछो शीष तुम नवाओ
हर पल हर खशण सात है रहता भोले का परिवार
भोले शंकर शिव जी की है महिमा अपरंपार
इनकी क्रिपा से कश्ट मिटे हैं स्वस्थ बने रोगी
महा देव शिव शंभू तो है जोगियों के जोगी
ब्रह्मा जी ने रची ये स्रिष्टी विश्णू जी पालन हार
मृत्यू लोक के स्वामी शिव जी करते हैं संघार
जो सोंवार को महं शिवलिंग पर दूध चड़ाते हैं
हाँ दूध चड़ाते हैं
वो महा देव शिव शंकर से सारे सुक पाते हैं
शिव शंकर का लोना बन जाएंगे सब का
सोंवार की कथा जो पढ़ता और सुनाता हैं
वरत कर शिव शंकर के सारे नियम निभाता है
शिव परिवार को सची शद्ध से पुश्प चड़ाता है
उसका जीवन फूलों के जैसे मुस्काता है
भक्त जनों सब आखें बंद कर शिव का कर लो ध्यान
मन के भोले हैं ये भोले नाथ जी बड़े महान
सोंवार वरत कथा का फल जिसको मिल जाता है
दुखों से छुटकारा मिलता हर दम सुख पाता है
जो सोंवार की कता को پढ़ते गान के सुनाते हैं
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