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V.A
Suno Ramzan Ki Dastan

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सुनो रमजान की दासिता को सुनो रहमतों का बया है बया को सुनो
लड़का था एक शहर में जो हुसन बेमिसाल
कम सिन था जिसकी उम्र थी समझो के साथ साल
रमजान के जो चान्द पे उसकी नजर पड़ी
उसके भी दिल में रोजे की एक आरजू जगी
रोजा रखूँगा मैं भी ये मां-बाप से कहा
सहरी करूँगा मैं भी जगा देना तुम जरा
सुनो रमजान की दासिता को सुनो
रहमतों का बया है बया को सुनो
रहमतों का बया है बया को सुनो
लड़के की बात सुन ली मगर कुछ नहीं कहा
लड़का सुभा उठा तो हुआ उनसे वो खफा
समझाया माने बापने ऐ मेरे गुल सिता
रोजा नहीं है फर्ज अभी तुझ पे मेही जाँ
नन्ने से दिल को बात का सद्मा बड़ा हुआ
मा से कहा कुरान में कहता है ये खुदा
रोजे की भूख प्यास जो हस्ती उठाएगी
उस रोजेदार को ना ये दोजख जलाएगी
कुरान जिसमें उतरा सुनो वो महीना है
तौबा कुबूल करता खुदा वो महीना है
सुनो रमजान की दासता को सुनो
रहमतों का बया है बया को सुनो
आई जो सर पे रात तो वो जागता रहा
सहरी भी कर ली चुपके से
खुश होके सो गया
उठा सुबा तो मां से कहा सारा माजरा
माने बड़े ही प्यार से फिर उससे ये कहा
रोजा ना रख सकेगा ये जिद छोड़ मान जा
देदूंगी अपना रोजा तुझे मेरे दिल रुबा
तोड़ूंगा मैं ना रोजा कभी कुछ ना खाऊंगा
आखिर खुदा को किस तरह ये मूँ दिखाऊंगा
माने कहा के भूक लगी होगी लाडले
गर्मी है तुझको प्यास लगी होगी लाडले
कहने लगा के चाहे जमी पर हो आफताप
पानी का एक कतरा भी पीना बड़ा अजाप
सुनो रमजाने की दासिता को सुनो
रहमतों का बया है बया को सुनो
आई जो सर पे रात तो वो जागता रहा
सहरी भी कर ली चुपके से खुश होना
तो के सो गया उठा सुबा तो मां से कहा सारा माजरा
माने बड़े ही प्यार से फिर उससे ये कहा
रोजा न रख सकेगा ये जिद छोड मान जा
दे दूँगी अपना रोजा तुझे मेरे दिल रुबा
तोड़ूंगा मैं न रोजा कभी कुछ न खाँगा
आखिर खुदा को किस तरह ये मूँ दिखाँगा
माने कहा के भूक लगी होगी लाडले
गर्मी है तुझको प्यास लगी होगी लाडले
कहने लगा के चाहे जमी पर हो आपताप
पानी का एक कतरा भी पीना बड़ा आजाप
सुनो रमजाने की दासिता को सुनो
रहमतों का बया है बया को सुनो
अल मुक्तसर जोहर जो गई आ गई असर
वो प्यास जान ले गई पत्रा गई नजर
माने कहा के हाई मेरा लाल चल दिया
इफतारी जो बनाई थी वो
भी नखा सका
रोजे का वक्त हो गया लेकिन कहा है वो
अब तो खुदा की राह में आखिर रवा है वो
इतने में एक फकीर ने आकर ये भी सदा
मैं भी हूँ रोजदार के ले लो मेरी दुआ
जो कुछ भी पास हो मुझे खाना खिला ये
मातम ये कैसा है जरा इतना बताईए
आखों से आशुओं का जनाजा गुजर गया
मा बाप दोनों बोले के बच्चा ही मर गया
बोला फकीर मुझे को खुदारा बताओ तुम
लाशा कहा है बेटे का मुझे को दिखाओ तुम
साइल ने लाश देख के क्या जाने क्या पढ़ा
मुर्दे के दिल पे हाथ रखा और दी सदा
मासूम रोजदार के अब रोजा खोल तुम
कब तक यू छुप रहेगा जरा मुझे बोल तुम
इतना ही सुनके बच्चे ने फिर आख खोल दी
मामामता की मारी थी उससे लिपट गई
साइल नहीं था वो था फरेश्टा खुदा का था
बच्चे को जिन्दा करके जो रूपोश हो गया
आती है इम्तिहान की इंसान पे घड़ी
अल्ला पे जान दे दे वो मरता नहीं कभी
मरता नहीं कभी
मरता नहीं कभी
मरता नहीं कभी
लड़का था एक शहर में जो हुसन बेमिसाल
कम सिन था जिसकी उम्र थी समझो के साथ साल
रमजान के जो चान्द पे उसकी नजर पड़ी
उसके भी दिल में रोजे की एक आरजू जगी
रोजा रखूँगा मैं भी ये मां-बाप से कहा
सहरी करूँगा मैं भी जगा देना तुम जरा
सुनो रमजान की दासिता को सुनो
रहमतों का बया है बया को सुनो
रहमतों का बया है बया को सुनो
लड़के की बात सुन ली मगर कुछ नहीं कहा
लड़का सुभा उठा तो हुआ उनसे वो खफा
समझाया माने बापने ऐ मेरे गुल सिता
रोजा नहीं है फर्ज अभी तुझ पे मेही जाँ
नन्ने से दिल को बात का सद्मा बड़ा हुआ
मा से कहा कुरान में कहता है ये खुदा
रोजे की भूख प्यास जो हस्ती उठाएगी
उस रोजेदार को ना ये दोजख जलाएगी
कुरान जिसमें उतरा सुनो वो महीना है
तौबा कुबूल करता खुदा वो महीना है
सुनो रमजान की दासता को सुनो
रहमतों का बया है बया को सुनो
आई जो सर पे रात तो वो जागता रहा
सहरी भी कर ली चुपके से
खुश होके सो गया
उठा सुबा तो मां से कहा सारा माजरा
माने बड़े ही प्यार से फिर उससे ये कहा
रोजा ना रख सकेगा ये जिद छोड़ मान जा
देदूंगी अपना रोजा तुझे मेरे दिल रुबा
तोड़ूंगा मैं ना रोजा कभी कुछ ना खाऊंगा
आखिर खुदा को किस तरह ये मूँ दिखाऊंगा
माने कहा के भूक लगी होगी लाडले
गर्मी है तुझको प्यास लगी होगी लाडले
कहने लगा के चाहे जमी पर हो आफताप
पानी का एक कतरा भी पीना बड़ा अजाप
सुनो रमजाने की दासिता को सुनो
रहमतों का बया है बया को सुनो
आई जो सर पे रात तो वो जागता रहा
सहरी भी कर ली चुपके से खुश होना
तो के सो गया उठा सुबा तो मां से कहा सारा माजरा
माने बड़े ही प्यार से फिर उससे ये कहा
रोजा न रख सकेगा ये जिद छोड मान जा
दे दूँगी अपना रोजा तुझे मेरे दिल रुबा
तोड़ूंगा मैं न रोजा कभी कुछ न खाँगा
आखिर खुदा को किस तरह ये मूँ दिखाँगा
माने कहा के भूक लगी होगी लाडले
गर्मी है तुझको प्यास लगी होगी लाडले
कहने लगा के चाहे जमी पर हो आपताप
पानी का एक कतरा भी पीना बड़ा आजाप
सुनो रमजाने की दासिता को सुनो
रहमतों का बया है बया को सुनो
अल मुक्तसर जोहर जो गई आ गई असर
वो प्यास जान ले गई पत्रा गई नजर
माने कहा के हाई मेरा लाल चल दिया
इफतारी जो बनाई थी वो
भी नखा सका
रोजे का वक्त हो गया लेकिन कहा है वो
अब तो खुदा की राह में आखिर रवा है वो
इतने में एक फकीर ने आकर ये भी सदा
मैं भी हूँ रोजदार के ले लो मेरी दुआ
जो कुछ भी पास हो मुझे खाना खिला ये
मातम ये कैसा है जरा इतना बताईए
आखों से आशुओं का जनाजा गुजर गया
मा बाप दोनों बोले के बच्चा ही मर गया
बोला फकीर मुझे को खुदारा बताओ तुम
लाशा कहा है बेटे का मुझे को दिखाओ तुम
साइल ने लाश देख के क्या जाने क्या पढ़ा
मुर्दे के दिल पे हाथ रखा और दी सदा
मासूम रोजदार के अब रोजा खोल तुम
कब तक यू छुप रहेगा जरा मुझे बोल तुम
इतना ही सुनके बच्चे ने फिर आख खोल दी
मामामता की मारी थी उससे लिपट गई
साइल नहीं था वो था फरेश्टा खुदा का था
बच्चे को जिन्दा करके जो रूपोश हो गया
आती है इम्तिहान की इंसान पे घड़ी
अल्ला पे जान दे दे वो मरता नहीं कभी
मरता नहीं कभी
मरता नहीं कभी
मरता नहीं कभी
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