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Swarg Aur Narak Ka Rasta
V.A
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Lyrics
Uploaded by86_15635588878_1671185229650
विदुर्जी महराज ने कहा
महात्मन आपके चरनों में मैं वंदन करता हूँ, प्रणाम करता हूँ, क्रपा करके मुझे वो दिव उपदेश प्रदान करिये
जो उपदेश आपको परमात्मा ने मेरे नाथ ने अंतिम समय प्रदान किया था
तब मैत्रे मुनी के साथ बड़ा सुन्दर यहां पर सत्संग हुआ जिसमें बड़े अद्भूत अद्भूत विदुर्जी ने प्रश्न किए
सुखाय कर्मानी करो तीलो को नतई सुखम बादन दुपार अवंबा
जीव जब जन्म लेता है तो उस जीव को सुख और दुख की प्राप्ति क्यों होती है
जब ये सब प्रश्न कुछे हैं तो मैत्रे जी ने कहा कि विदुर्जी महराज आप बोल गए कि आप कौन हैं
अरे सुख और दुख देने का ठेका तो आपको ही दे रखा है मेरे नारायण ने आप ही तो धर्मराज हैं
और आप ही पूछ रहे हो कि जीव को सुख और दुख क्यों होता है इन लीला हो रही है क्योंकि उधिस्तिर जी
और वे बिदुर्जी दोनों धर्मराज ही है
तो धर्मराज ही तो पुरिण पाप का लेखा जोखा करने के लिए
एक आदमी लगा के रखे हैं, चित्र गुप्त
वो सारा लेखा जोखा बताते हैं
फिर धर्मराज काटेगरी बता देते हैं
किस कटेगरी में डालना है महाराज
इसे हम लोग जाते हैं न
घूमने के लिए तो फिर अपने अपने कटेगरी
के हिसाब से होटल सर्च करते हैं
वही महाराज फाइब स्टार भी है फोर स्टार
भी है थ्री स्टार भी है टू स्टार भी है
और
बड़े पाप किए हैं मैं जाओंगा नरक
में रहूंगा कुछ देख कोई नहीं सोचता
मैंने तो एक और विलक्षनता
देखी समाज की आज के समय
में एक और विलक्षनता
यह है किसी के घर कोई भी चला जाए
पुरा गाउं जानता हो
फोटो में भी क्या कहते हैं
स्वर्गीय हैं यह
स्वर्गीय फलाने जी
कोई पूछता क्या हुआ बई कब क्या हुआ
क्या बताएं दो तीन वर्ष हो गए
बैकुंधवासी हो गए
जब सबरे स्वर्गी ही चले गए
तो महराज नर्ग तो खाली हो गए होंगे
फिर जिसको देखो वुसी को
स्वर्गी यह फलाने जी
सब स्वर्गी हैं महराज
किसी की एक फोटो में
आपने नरकी यह नहीं लिखा देखा होगा
कि हमारे घर के फलाने जी
नरक पधार गए
किसी न देखा
जिसको देखो वह यही कहता है स्वर्गी या तो वह कौन ठवासी
कि इतना पाप करने के बाद भी जिसको देखो वह सीधे टिकट लेकर स्वर्गी जा रहा है माराज तो नर्क में
करने के बाद
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V.A
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