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Tarkasur Ka Udhaar Kisne Kiya
V.A
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Lyrics
Uploaded by86_15635588878_1671185229650
जिस हरी कथा में
सिव का नाम ना हो,
वै कथा पूरी नहीं होती।
माता पारवती से विभार संसकार पूर्ण हुआ।
और
देवताओं का हित करने के लिए,
संसार हित करने के लिए,
जिस जिस
कार्थिके जी के माध्यम से तार कासुर का उध्धार हुआ।
हमें अपना मरन करना है के उद्धार करना है
संसार के चक्कर में रहो गे ना महराज तो मरन ही हुना एथ
और संसार के बंदन से मुक्तु रहो गए तो उद्धार हो जा एथ
लोग तो सबका ही सुदरता है, सुदर ही रहा है
जीवन तो उसका सफल है जिसने जीते जी अपना परलोक सुधार लिया
तो आकूती, देव, हूती, प्रशूती तीन कन्याओं का
वर्णन स्रीशुकदेव जी महराज ने किया
अव रह गया कौन उत्तानपाद और प्रियवरत
उत्तानपाद के दो पत्नीया थी एक का नाम था शुरुची और एक का नाम था सुनीती
जब सुनीती को कहीं वर्षों तक संतान नहीं हुई
तो उसने कहा प्रभू वन्स के लिए आप दूसरा विभा कर लीजीए
मुझे उसमें कोई आपती नहीं
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Artist
V.A
Uploaded byThe Orchard
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