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V.A
Utar Ped Se Niche Lakadhare

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आईए मोका उस समय से कि जब सामत्री सत्यवान को जंगल वियाबान के अंदर देख लेती है
ओ बार बार विन्ती करके निवेदन करती है कि लकड़ारे एक बार नीचे उतरिये मैं आप से साधी करना चाहती हूँ
तो किस तरह से वो सामत्री सवाल करती है और किस तरह से वो सत्यवान नाम का लकड़ारा जवाब देता है सुनेंगे इस राजरी के दुआर
तो उतर पेड़ ते तरह 16 मेरामन डाल थन याने AL
उतर पेड़ ते तरह 17 मेरामन डाल थन याने
ये रे क्यूं ख़ोवे सैटे में चली जाри अम लकडी कटन याले
क्यूं ख़ोवे सैटे में चली जारि
अम लकड़ी कटन याले
आम लकडी कटन याले
उतर पेड़ते तड़े एक बर मेरा मन डाटन याले
क्यूं खो वैसे टैम चली जा हम लकडी कटन याले
तेरे मिलन की बाट बाट में गणी हान होली मन ने
कुछ जाल गेर ना चावे से नू समझ कान होली मन ने
शादी का मोजाल करून नू समझ कान होली मन ने
ओ देसे
शादी बिना मलंग हंडन की पूरेवान होली मन ने
क्यूं कर होगा भला बता
हो तेरा
क्यूं कर होगा भला बता
इसे मिलन की बाद में गणी हान होली मन ने
ओ देसे बिना मलंग हंडन की पूरेवान होली मन ने
क्यूं कर होगा भला बता
इसे मिलन की बाद में गणी हान होली मन ने
जोड़ी कावर मिल्या नहीं नियूँ
छोट गया एश आराम मेरा
तिरिया विस्की देल जैर ने
तिरिया विस्की देल जैर ने
मरा पूरेवान होली मन ने
आशिक काले नाग जहरते कदने आरे पाटने आरे उतर पेड़ते तड़े एक वैं मेरा मन डाटने आरे
क्यूं खूबैसे टैम चली जा हम लकडी काटने आरे
बीर मरद का गात एक दिन
बीर मरद का गात एक दिन
कट जा मरहम लोटे मैं
राजपाठ का सुक छोड़ा
के फादा दुखडा ओटे मैं
तेरी गैल लाकडी डोलियूंगी दू
साथ नफे ओरे तोटे मैं
तेरी पतली कमरी जरब आजागी
सैजादा बजनी बरोटे मैं
तेरी पतली कमरी जरब आजागी
सैजादा बजनी बरोटे मैं
दुख की परवा नहीं पीर ने
दुख की परवा नहीं पीर ने
ओ बालव रख छाटन आले
हम अपने आपी गरीब
बालव रख छाटन आले
बालव रख छाटन आले
उतर पेड़ता ले एक बैं
मेरा मन ढाटन आले
क्यूं खोवे सैटे में चली जा
हम लकडी काटन आले
क्यूं खोवे सैटे में चली जा
हम लकडी काटन आले
हम लकडी काटन आले
मन्जीश सिंग् भाई मन्जीश सिंग् घाटनिवा सिंग्
और बीजा करवा के जनम कैद हो जिन खाड़े उया करें
बिया करवाए बिना गाबरू उतलुंगाडे हुया करें
घर वास्थे में कुटम फैल जा, गने पवाडे हुया करें
जिस घर में बालक बीर नहीं हो, भाग्य के माणे हुया करें
जिस घर में बालक बीर नहीं हो, भाग्य के माणे हुया करें
पुरु चंद्रिलाली भगिवानी भगति के सच्चे मन सतन याले
हो दन्या एक आद जगत में, लाखों हे आटने आले
उतर पेड़ते तने एक में, मेरा मन डाटन वाले
यूखो वैसे टेम चली,
जा अम लकडी कटने आले
यूखो वैसे टेम चली,
जा अम लकडी कटने आले
ओ बार बार विन्ती करके निवेदन करती है कि लकड़ारे एक बार नीचे उतरिये मैं आप से साधी करना चाहती हूँ
तो किस तरह से वो सामत्री सवाल करती है और किस तरह से वो सत्यवान नाम का लकड़ारा जवाब देता है सुनेंगे इस राजरी के दुआर
तो उतर पेड़ ते तरह 16 मेरामन डाल थन याने AL
उतर पेड़ ते तरह 17 मेरामन डाल थन याने
ये रे क्यूं ख़ोवे सैटे में चली जाри अम लकडी कटन याले
क्यूं ख़ोवे सैटे में चली जारि
अम लकड़ी कटन याले
आम लकडी कटन याले
उतर पेड़ते तड़े एक बर मेरा मन डाटन याले
क्यूं खो वैसे टैम चली जा हम लकडी कटन याले
तेरे मिलन की बाट बाट में गणी हान होली मन ने
कुछ जाल गेर ना चावे से नू समझ कान होली मन ने
शादी का मोजाल करून नू समझ कान होली मन ने
ओ देसे
शादी बिना मलंग हंडन की पूरेवान होली मन ने
क्यूं कर होगा भला बता
हो तेरा
क्यूं कर होगा भला बता
इसे मिलन की बाद में गणी हान होली मन ने
ओ देसे बिना मलंग हंडन की पूरेवान होली मन ने
क्यूं कर होगा भला बता
इसे मिलन की बाद में गणी हान होली मन ने
जोड़ी कावर मिल्या नहीं नियूँ
छोट गया एश आराम मेरा
तिरिया विस्की देल जैर ने
तिरिया विस्की देल जैर ने
मरा पूरेवान होली मन ने
आशिक काले नाग जहरते कदने आरे पाटने आरे उतर पेड़ते तड़े एक वैं मेरा मन डाटने आरे
क्यूं खूबैसे टैम चली जा हम लकडी काटने आरे
बीर मरद का गात एक दिन
बीर मरद का गात एक दिन
कट जा मरहम लोटे मैं
राजपाठ का सुक छोड़ा
के फादा दुखडा ओटे मैं
तेरी गैल लाकडी डोलियूंगी दू
साथ नफे ओरे तोटे मैं
तेरी पतली कमरी जरब आजागी
सैजादा बजनी बरोटे मैं
तेरी पतली कमरी जरब आजागी
सैजादा बजनी बरोटे मैं
दुख की परवा नहीं पीर ने
दुख की परवा नहीं पीर ने
ओ बालव रख छाटन आले
हम अपने आपी गरीब
बालव रख छाटन आले
बालव रख छाटन आले
उतर पेड़ता ले एक बैं
मेरा मन ढाटन आले
क्यूं खोवे सैटे में चली जा
हम लकडी काटन आले
क्यूं खोवे सैटे में चली जा
हम लकडी काटन आले
हम लकडी काटन आले
मन्जीश सिंग् भाई मन्जीश सिंग् घाटनिवा सिंग्
और बीजा करवा के जनम कैद हो जिन खाड़े उया करें
बिया करवाए बिना गाबरू उतलुंगाडे हुया करें
घर वास्थे में कुटम फैल जा, गने पवाडे हुया करें
जिस घर में बालक बीर नहीं हो, भाग्य के माणे हुया करें
जिस घर में बालक बीर नहीं हो, भाग्य के माणे हुया करें
पुरु चंद्रिलाली भगिवानी भगति के सच्चे मन सतन याले
हो दन्या एक आद जगत में, लाखों हे आटने आले
उतर पेड़ते तने एक में, मेरा मन डाटन वाले
यूखो वैसे टेम चली,
जा अम लकडी कटने आले
यूखो वैसे टेम चली,
जा अम लकडी कटने आले
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