कभी महात्मा विदूर से महाराजा धिराज धरतराष्ट पूछ रहे हैं
वे कौन से लोग हैं जो हमें सद्धुखी रही रहे हैं
विदूर कहते हैं राजन
ईर्शू घरनिन संतुष्टा क्रोधनों नित्य संकिता पर भाग्यों पर जी बीचा खड़ेते नित्य दुख्यता
ईर्शा करने माला जो दूसरों से जलन रखता है किसी का मां सम्मान देख करके
किसी को धन्मान देख करके, किसी को आगे बढ़ता हुआ देख करके
ने रखें जिसके सीने पर साप नोट जाते हैं वह व्यक्ति सदेव दुखी रहता है उसके सुखी होने का कोई ऊपाइज
कि जिगत गुरू ने कहा है कि ईरशा करने से मुनिष्य की आयु कम हो जाती है
श्री रामसर्मा अचारी ने कहा है कि इरिशा करने से मनुष्य का सुख भी जल कर भश्म हो जाता है
दही माना सूति ब्रिण नीचा पर ये सोग निर्दा है असक्तास तत्पदम गंतुम ततो निन्दाम प्रकुरुवते है
चानक के कहते है जिस पॉइंट पर वो विक्ती पहुँचना चाहता था लेकिन नहीं पहुँच पाया और वोस पॉइंट पर दूसरा कोई पहुँच गया
अब उसको देख करके जो जलन होती है इसका नाम ईर्शा है ईर्शा तू न गई मेरे मन से और ईर्शा परिछे वालों से होती है अपरशित से नहीं होती है और ज्यादा तर जिठानी को देवरानी से ईर्शा हो जाती है
और महिलाओं में ईर्शा बहुत ज्यादा काम कर रही है
पुर्शों में ईर्शा अगर 35% है
तो महिलाओं में 25% बाजी मारी है
एर्शा
और एर्शा राजनितिक छेतर में भी
अंधर अंधर चुपके चुपके काम करती नज़राती है
इर्शा धारविक छेत्र में भी कभी कभी काम करते हुए नचर आती है
कोई नया नया संत अगर प्रचार प्रशार करने के लिए सत्संग करने के लिए आ गया
तो जो पुराने वहाँ बैठे हैं न पहले से
उनका मन बिठित हो जाता है
में हिमान्चल एक बार गया था
तो वहाँ का एक शादु बोला भक्तों के बीच में
कि हिमान्चल में जब पानी बरसता है
तो यहां के रस्ते बदल जाते हैं
क्योंकि पानी के बाहों में कट पिट हो जाते हैं
इदर उदर लोग निकलते
हिमाणिशल में जब पानी वरसता है तो यहां के रस्ते बदल जाते हैं, और जब वासंग साहब जैसे संत आते हैं
तो यहां के भगत भी बदल जाते है. ऐसे साहब उसने सुनाया मैंने कहा आफ कर ना दुबारा तुम्हारे हिमाणिशल
हिदन चल में मैं नहीं आऊंगा तो अपना सिंह मत लो तब से मैं गया ही नहीं दुष्णों की हमें जाता कि
यह मेरा उद्देश नहीं है किसी के कार्य को बिगड़ना इन्हारा मेरा उद्देश है बिगड़े हुए सभावों को
को सुधारना बिगड़ी हुए चरित्रों को सुधारना बिगड़ी हुए इंसान को सुधारना यह मेरी जिंदगी का उद्देश
है जिनकी जिंदगी नसाबिशन में डूबी है वहां से निकाल कर बाहर लाना और कोई महान संत अगर ऐसा हमारे
छेत्र में आ जाए उसका स्वागत करना चाहिए कि आइए आपकी बानी से ही शायद हमारे छेत्र के लोग कुछ पवित्र
हो जाए इनकी बुराईयां छूट जाए मुनुष्य अपनी बुराईयों से कमजोर हो जाता है एक छोटे से छेंद के कारण नाव डूब
जाती है याद रखना छोटी-छोटी बुराईयां भी आपकी उन्नति की ओर जाने वाली नौका को डूबा देती है इसलिए
मांस मछली अंडा नसा सराप चुमा बेड़ी शिगरट गांजा चर्ष दंबाकु विचार अनाचार धुराचार भृष्टाचार इसके
मारण मुनश की जाती हुई है लाचार यह छोड़िए अनाचार ढुराचार भृष्टाचार अरध ताकि तुम लाचार न हो
तुम महानों तुम दिव्य हो भभ्यों सब दो तुम अपनी प्रतिभा को समझो तुम शाधारण है तुम क्यों रोते रहते हो
तुम क्यों दुखी होते हो
तुम याद करो उनको
जो तुमारे देश के
महान पुरुष होई है
उनका अस्मरन किया करो
कृष्णे गीता में लिखा है
यहाँ क्या लेकर आए हो
जो तुम्हारा खो गया है
यहाँ से क्या लेकर जाओगे
जो तुम चिंदा करते हो
यहां क्या तुमको मिला है
जो तुमारे साथ जाएगा
जो तुम दुखी होते हो
यहां तुमारा क्या है जो छूटने वाला है
ना कुछ लेकर आये थे
ना सामान लेकर जाओगे
इसलिए दुखी क्यों होते हो
रोते हुए तुम्हारा जनम हुआ है
तो हसते हुए जिन्दगी बिदाओ
और मुश्कराते हुए मर कर दुनिया से चले जाओ
कवीर जब हम पैदा हुए
जग हसे हम रोए
ऐसी करनी करनी
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