मान से खुश खुश खुश
मैने सोचा था
कुछ अनकहें बाते कहूं
तुम से कहूं
तुम से चाहत था
सपने सभी
तुम से कहूं या ना कहूं
क्यूं
सुनते रहे
लब चुप रहे
सावन में भी
सावन में भी
सावन में
रातें गहरी
थी
सुनसान थी अर्मान
जले बरसात में
आशेयां ऐसे
बनते नहीं गिर जाते हैं बसते नहीं
क्यूं
हाल दिल
लिखते रहे रखते रहे
क्यूं बिखर गए
जो कभी