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Sampurn Aalha Baba Mohan Ram Ki, Pt. 02

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Swastika Mishra

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Lời bài hát: Sampurn Aalha Baba Mohan Ram Ki, Pt. 02

Nhạc sĩ: Hareram Baisla

Lời đăng bởi: 86_15635588878_1671185229650

प्यारे भगतों पड़े प्रेम से बोलो
जै जै मोहन राम जै जै काली खोली प्यारे
मंदिर खास मिलकपुर धाम पहले भाग में सुना आपने
प्रभुने ले लिया अवतार काली खोली में प्रकट हुए थे
संसे का बाणा लिया तधार कैसे भगति से खुश हो करके
नन्दू को दिये धर्श दिखाए क्या उसको बरदान दिया था
ये भी तुझ को दिया सुनाए अब आगे के कथा सुनो तुम
भाग तूसरा रहे सुनाए जिसके सुनने और काले से
सारे दुख संकट कट जाए कैसे जग जाहिर हुई खोली
जग जाहिर हुए मोहन राम बापा मोहन राम का मंदिर
कैसे पुजा मिलक पुरधाम नन्दू जी के बाद भाव सिंग
भक्त हुए जग जाने तमाम लालो हर्या भक्त थे नामी
नहिं चन्न और श्री महराम हर नारायन को जग जाने
जिनका धूर धूर तक नाम लालो जी के साथ विपेधी
शिरोमनी श्री नेतराम सब भक्तों में नेतराम जी
शिरोमनी की पदवी पाए ऐसा भक्त सुना ना देखा
हिरदे मेले आशाम बिठाए नेतराम बिन बाबा जी की
कथा अधूरी ही कहलाए सारे भक्तों सुनो धान से
बाबा जी कोशीश जुकाए गाम मिलकपुर में ये जनमे
भक्ती के गुन सारे पाए बालकपन में ही भक्ती की
जोते दिल अंदर जल जाए कानहां की तर भोला भाला
सुन्दर रूप अलोकिक पाए पूरे गाम कबना लाडला
सब लोगों के मन को भाई सब से जै बाबा की बोले
सबको मीठा बोल सुनाए नटखट और चंचल बालक को
देख देख सारे हरशाए सुभे शाम को वो रोजाना
नंगे पैरो खोली जाए चुको गेरे भरे जलहरी
नित्या नेम से जोती जलाए घंटो ध्यान मगन रहते थे
बाबा जी का ध्यान लगाए कभी कभी तो ऐसा होता
रात की बारा तक बजजजाए परवत जंगल भी आबाण था
जंगल पशुघणे जहां पाए इकला खोले मत ना जाओ
घरवालों ने लिया समझाए बाबा जी के ध्यान में उसने
सुद्ध तनमन की दी बिसराए सास सास में शाम
समाए हिरते अंदर ले बिठाए परवत उपर जारो जाना
बाबा जी से करे पुकार नंद दुलारे प्रानों प्यारे
दर्शन दू मुच्चितारन हार धीरे धीरे समय बीट गया
इसी तरहे भाईयो लगतार बिन दर्शन पाए ना जाओ
दिल में पक्कीली थी धार खोले अंदर बैठ गया था
बाबा जी का ध्यान लगाए हो गये थे चोबिस घंटे
जल पिया ना खाना खाए देख तपस्या उसकी भारे
मन मोहन जी खुश हो जाए अब तो दर्शन देने होंगे
श्री कृष्ण जी मता उपाए गौलोक से कृष्ण चले थे
आपने भत की देखेन भती बाबा बहुत मगन हो जाएनेतराम जी आन्खे खोलो
भक्ती गई तिरी मुझे भाई मन की चाहे पूरी कर दी
आँख खोल लो ज़रा लखाई नितराम ने आँखे खोली
मन में छाई कुषी आपार गिरवर धारी ब्रिज भिहारी
नीले घोडे पे असवार लंबी लटा सुनहेरी लटके
धुटनों तक पहुँची थी आई धर सादु का रूप कडे थे
मंद मंद बाबा मुस्काई आखों से जलधार बही थी
बहुत घणा मन में हरसाई लंबा लोट कया चर्णों में
पकड़ी पैर छोड़ता नाई तप तप आसु गिरने लगे थे
नैनों से पहती जलधार हे मन मोहन मदन मुरारे
मुझे पे किरपा करे आपार रूप अलोकिक मुझे दिखाया
रखलिया सेवक का मान हे नंदलालादीन दयाला
जैहों जैकृष्ण भगवान मेरा जीवन धन्य किया है
खोटी कोटी है प्रणाम हे तप धारी लेला धारी
जैहों तेरी मोहन राम अमरित वाणी बाबा बोले
मंद मंद रहे वो मुसकाई मेरा सच्चा भगत तु होगा
देता हूं तुझ को वरदान तु दुखीों के दुख काटेगा
मेरे किरपा सत्य ये जान जिसके सरपे हात तु फेरे
उसका हो जाए कल्यान भक्ति का वरदान दिया था
तु होगा मेरा भक्ति महान मेरे किरपा से भक्तों का
सदा करेगा
तु कल्यान तेरे मुझे जो भी निकले उसका रखूंगा मैं
भगत को
बाबा हो गया अनतर ध्यान बाबा से वरदान पाकर
नितराम को हर्ष अपार सारे जीवन फिर किया था
उसने भक्तों का उधार मानवता की सेवा में फिर
अपना जीवन दिया लगाए धीरे धीरे समय बीट गया
भक्ति को गया बुल्हापा आए उमर हो गई उसकी काफी
वो ज़ादा हो गई बीमार किया एक्सरे डोक्टरों ने
बैठे दीखे क्रिष्ण मुरार करे अचम्भा सभी डोक्टर
करे अचम्भा सभी डोक्टर
एक्सरे को रहे निहार मोर मुकुट सर पे दिखा था
घट में परमपिता करितार चरन पकड़ लिये डोक्टरों ने
नीला देख बहुत हैरान ऐसा चमत कार ना देखा
हिरदै में बैठे भगवान बाबा मोहन की जै बोलो
गये भक्त जी पैर पसार नितराम जी स्वर्ग सिधारे
मचा जगत में हाहा काई धाम मिलकपुर और खोड़ी के
जण्डा खुद बाखुद जुक जाए गाउं इलाके की सब गया
बुरी तहसे रही रमभाई सारे जग में कबर पैल गई
रहे भक्त जी जिन देनाए भक्तों का कल्यान वकर के
पहुँचे खे गौलोक में जाए धाम मिलकपुर जग से नियाराम
धाम मिलकपुर जग से नियाराम पास में है
आलोपुर धाम दोनों के महिमा है निराली
भूजे जाते मोहनराम बाबा हरेनात जग जाहिर
धुनिया में गए नाम कमाए आलोपुर मंदिर है निराला
इन होने जो दियां बनवाए हरेनात बाबा के बिना
ये कथा नहीं पूरी हो पाए रूप बदल इसकी डिूटी पे
देड़ महीना बाबा जाये ऐसा चमतकार कलियुग में
मुश्किल ही सुनने को आये पूरी कथा ध्यान से सुनना
सुनके मन निरमल हो जाये खोले वाला कहो यकरिश्म
जैसे जिसकी जी में आये अपने सच्चे भक्तों को ये
सद्मारग देते दिखला यूपी अंदर भूमा खेड़े
यूपी अंदर भूमा खेड़े बढ़ता एक छोटा सा गाम हुकमा देवे पतनी के संग
रहते थे जहां काले राम चिला मुझफर नगर बताते
भक्तों सुनलो कानी लगाए रकम सिंग इनके घर जनमा
हरे नाथ बाबा कहलाए बालकपन में ज्यान हो गया
हर दम रटता राधे शाम काले खोले धरिशन करता
रोज मनाता मोहन राम जूड बाग दिल्ली के अंदर
माली के ड्यूटी लग जाए जो घटना इसके संग बीटी
फुद मैंने ले पता लगाए खास काटते एक मशीन
बैल जोड जो खीचे जाए रकम सिंग उस चला रहा था
सारी कथा रहे समझाए धीरे चलता बैल देखके
धीरे चलता बैल देखके
गुसे में दे डंडा मार नरम खाल छिल गई बैल के
बहने लगे खून की धार रकम सिंग के च्छाते टोली
करता ख्याल हुआ लाचार बैल की पड़े पिटाई करनी
ऐसी द्यूटी को धिकार छोड नोकरे घर पहुचा था
जादा गईं गिलाने आए जो कुछ उसके संग में बीटी
नहीं किसी को कुछ बतलाए दिल में ज्यादा ख्याल करे था
खाना पीना भी ना खाए इतना भारे पाप हो गया
मन ही मन ज्यादा पछताए करकर ख्याल दुखी था ज्यादा
सूख गया पीला पड़ जाए डेड महीना गया न ध्यूटी
दिल से घटना निकले नाए उसके मात पिताने पूछा
उसके मात पिताने पूछा बेटा कुम कुछ रहे छुपाए भूला भाला चांद सतेहरा
गया तेरा कैसे मुरझाए सारे बात हमें बतलाओ
कौन से चिन्ता रही सताए डेड महीना तुझे हो गया
तू क्यूँ ना ड्यूटी पे जाए अपने मात पिता को उसने
सारी घटना गई बताए सुनके मात पिता ये बोले
क्यू रह जादा शोक मनाए सरकार ये ड्यूटी है तेरी
ऐसे फिर मिलेगी नाए जाकर हाथ जोड तो लेना
तेरा अपसर खुश हो जाए अब तो ड्यूटी छुट गई होगी
आया था मैं भी ना बताए रकम सिंग के बाते सुनकर
हर वाले उसको समझाए हर वालों के समझाने से
हर वालों के
समझाने से रकम सिंग ड्यूटी पे जाए
महकमे के चौधरी को जाके शीषदिया जुकाए देड महीने में मैं आया
मेरी खता माफ हो जाए जो कुछ उसके साथ में
बीटी चौधरी को दये बताए चौधरी ये बोला तेरी
हसने की आदत ना जाए रोजाना तो ड्यूटी देता
गैर हाजरी एक भी नाए खुर बदराते और पावडा
सोर्स डेली तू ले जाए शाम को आकर के रोजाना
देता है तो जमा कराए खोल डिटेल देखले अपनी
और हाजरी दी दिखलाए अपने दस्तावाद
देखले बुक में रोजाना तो करके जाए अपने अपने जिद पे दोनों
अपने अपने जिद पे दोनों कोई किसी के माने नाए वो भी सच्चा ये भी
सच्चा
उसकी बहुत बहस हो जाए साथ के साथे सारे आगे रकम सिंग को
वो समझाए संग हमारे काम तो करता
रोजाना ड्यूटी पे आए स्टियो आफिस में पहुँचे
लगी हाजरी मिली तमाम रोज मेरे को करे नमस्ते
दस्तत में लिख जाता नाम बुथ्थी चटक गई है इसकी
सभी करे आपस में बात रोज रोज ये ड्यूटी देता
काम करे ये हमारे साथ हात जोड वैं उनसे बोला
कहदी उसने कथा तमाम मेरे बदले में मेरी ड्यूटी
दे गई बाबा मोहन राम सभीन जै मोहन की बोली
सभीन जै मोहन की बोली
करने लगे थे जै जै कार खोली वाले बाबा जी की
कैसी माया अपरंपार छोड नोकरी रकम सिंग ने
छोडी दिया अपना परिवार काले खोले में आ पहुचा
सच्चे दिल से करे फुकार हरेनाथ बाबा कहलाए
जिन ही जानता है संसार आलोपुर मंदिर बनबाया
जिन के सेवक थै हजार समपूर्ण काथा मोहन की
आज आपको दैई सुनाए जिसके पढ़ने और सुनने से
भगतों की मुक्ति हो जाए जै हो बाबा खोली वाले
जै हो बाबा मोहन राम कथा लिखे हरे राम बैसला
जिसका कुशक बड़ोले गाम कथा लिखे हरे राम बैसला

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